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उपन्यास ‘शून्य से आख़िर तक’ एक खोज है। खोज किसी भी क्षण, कार्य, प्रेम, यात्रा के जीवन से मृत्य की। पाठकों और लेखक के बीच के रिश्ते पर भी सीधा संवाद करते हुए यह उपन्यास आपस में एक संभाषण-सी लगती है। वि...
उपन्यास ‘शून्य से आख़िर तक’ एक खोज है। खोज किसी भी क्षण, कार्य, प्रेम, यात्रा के जीवन से मृत्य की। पाठकों और लेखक के बीच के रिश्ते पर भी सीधा संवाद करते हुए यह उपन्यास आपस में एक संभाषण-सी लगती है। वि...
आलोक आज़ाद का कविता-संग्रह 'ईश्वर के बच्चे' अंतिम व्यक्ति को महसूस करने की साहित्यिक कोशिश है। ये कविताएँ अपने समय की पड़ताल करते हुए प्रेम, वैमनस्य, हताशा, विरोध और अन्याय के स्वर को मुखरता से अभिव्य...
एक उपन्यासकार का मस्तिष्क बहुत हाल के नहीं अपने पूर्वज उपन्यासकारों के पाठ और कथा-विवेक से बनता है। यहाँ एक सुविधा के लिए मान लीजिए कि अब तक हुए सुप्रतिष्ठित उपन्यासकारों के मार्ग विविध-विभिन्न सही, प...
धूमिल की कविताओं में सत्ता की निरंकुशता के दंश और उन्माद को बख़ूबी पढ़ा जा सकता है। समाज का रेखाचित्र तो लगभग हर कविता में दिखता ही है। साम्राज्यवादी पूँजीवादी व्यवस्था की जकड़न से, बिखरते समाजवाद के खं...
किताब के बारे में:
महात्मा गाँधी पर एक नई समझ समय की ज़रूरत है। हमें लगता है कि हम गाँधीजी को जानते हैं, जबकि वैसा है नहीं। हालात तब और जटिल हो जाते हैं, जब हम देखते हैं कि विपरीत लक्ष्यों को लेक...
नीम तले घास के बिछावन-सी मख़मली कहानियाँ। शफ़्फ़ाफ़ बर्फ़ पर स्कीइंग करते स्कीबाज़-सी फिसलती कहानियाँ। गंगा किनारे सखियों संग दौड़ती अल्हड़ बाला की गंगोत्री जल बरसाती हँसी-सी कहानियाँ। इंतज़ार में बुझ...
नमक स्वादानुसार लघु कथाओं का एक संकलन है जो विविध प्रकृति की है। यह लेखक के जीवन और उसके आस-पास के उदाहरणों, स्थानों और लोगों से काफी प्रेरित है। कहानियाँ गहरी कल्पनाओं से लेकर बचपन की कहानियों तक हैं...
( इस पर आधारित इसी नाम से JioCinema पर एक वेबसीरीज़ रिलीज़ हुई है)
"नमक स्वादानुसार और जिंदगी आइस पाइस" की उल्लेखनीय सफलता के बाद यूपी 65 निखिल सचान की तीसरी किताब है। जैसा कि निखिल कहते है...