Tags: कहानियां , Stories

Udas (Udaas) Paani Mein Dooba Chaand । उदास पानी में डूबा चाँद

  • Availability: Available
₹150 ₹150

Product Summery

नीम तले घास के बिछावन-सी मख़मली कहानियाँ। शफ़्फ़ाफ़ बर्फ़ पर स्कीइंग करते स्कीबाज़-सी फिसलती कहानियाँ। गंगा किनारे सखियों संग दौड़ती अल्हड़ बाला की गंगोत्री जल बरसाती हँसी-सी कहानियाँ। इंतज़ार में बुझती विरहिणी-सी जलती कहानियाँ। बेफिक्र, बेलौस यारों संग मुसीबतों की खिल्ली उड़ाती कहानियाँ। इस संग्रह ‘उदास पानी में डूबा चाँद’ की कहानियों में ऐसे कितने ही रंग हैं जो आपको अपने रंग में रंग लेंगे। कहीं मिलन तो कहीं बिछड़न! कहीं साहसी निर्णय लेती आत्मनिर्भर नायिका तो कहीं सूखे पत्ते-सा टूटकर गिर गया नायक जो धूल झाड़ फ़िर खड़ा होने का हौंसला करता है। लेखक नीरज कुमार उपाध्याय की अनेक रंगों की इन चौदह कहानियों में आपके डूब जाने और खो जाने का पूरा ख़तरा है; किसी की नीम-बाज़ आँखों में डूबकर, किसी की नींद खो जाने-सा।

****
'डायरी के वासंती पन्नों से सरगोशी करते-करते कब यह लिखने का सफ़र अपनी खुद की किताब तक आ पहुँचा, अहसास बेहद रुमानी है' अक्सरहाँ दोस्तों से यह कहने वाले उत्तर प्रदेश, मेरठ शहर के नीरज कुमार उपाध्याय ने जितना शहरों को जिया उतना ही गाँवों की हरियाली, नदी, नहरों, बागों, पंछियों को क़रीब रहकर जाना। तमाम लोगों और अपनी जिंदगी को कभी सुकूँ तो कभी आह जनित बेख़याली से पढ़ते हुए, देखे भोगे को लिखते हुए; कब यह किताब तैयार हो गई वह खुद हैरत में हैं। पहले अँग्रेजी साहित्य और फिर हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएट) नीरज कुमार उपाध्याय का यह कहानी संग्रह, 'उदास पानी में डूबा चाँद' पाठकों के समक्ष हाजिर है।

Qty

Tab Article

नीम तले घास के बिछावन-सी मख़मली कहानियाँ। शफ़्फ़ाफ़ बर्फ़ पर स्कीइंग करते स्कीबाज़-सी फिसलती कहानियाँ। गंगा किनारे सखियों संग दौड़ती अल्हड़ बाला की गंगोत्री जल बरसाती हँसी-सी कहानियाँ। इंतज़ार में बुझती विरहिणी-सी जलती कहानियाँ। बेफिक्र, बेलौस यारों संग मुसीबतों की खिल्ली उड़ाती कहानियाँ। इस संग्रह ‘उदास पानी में डूबा चाँद’ की कहानियों में ऐसे कितने ही रंग हैं जो आपको अपने रंग में रंग लेंगे। कहीं मिलन तो कहीं बिछड़न! कहीं साहसी निर्णय लेती आत्मनिर्भर नायिका तो कहीं सूखे पत्ते-सा टूटकर गिर गया नायक जो धूल झाड़ फ़िर खड़ा होने का हौंसला करता है। लेखक नीरज कुमार उपाध्याय की अनेक रंगों की इन चौदह कहानियों में आपके डूब जाने और खो जाने का पूरा ख़तरा है; किसी की नीम-बाज़ आँखों में डूबकर, किसी की नींद खो जाने-सा।

****
'डायरी के वासंती पन्नों से सरगोशी करते-करते कब यह लिखने का सफ़र अपनी खुद की किताब तक आ पहुँचा, अहसास बेहद रुमानी है' अक्सरहाँ दोस्तों से यह कहने वाले उत्तर प्रदेश, मेरठ शहर के नीरज कुमार उपाध्याय ने जितना शहरों को जिया उतना ही गाँवों की हरियाली, नदी, नहरों, बागों, पंछियों को क़रीब रहकर जाना। तमाम लोगों और अपनी जिंदगी को कभी सुकूँ तो कभी आह जनित बेख़याली से पढ़ते हुए, देखे भोगे को लिखते हुए; कब यह किताब तैयार हो गई वह खुद हैरत में हैं। पहले अँग्रेजी साहित्य और फिर हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएट) नीरज कुमार उपाध्याय का यह कहानी संग्रह, 'उदास पानी में डूबा चाँद' पाठकों के समक्ष हाजिर है।

0 REVIEW

ADD A REVIEW

Your Rating