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दिव्य प्रकाश दुबे ने सात बेस्ट सेलर किताबें—‘शर्तें लागू’, ‘मसाला चाय’, ‘मुसाफ़िर Cafe’, ‘अक्टूबर जंक्शन’, ‘इब्नेबतूती’, ‘आको-बाको’ और 'यार पापा'—लिखी हैं। ‘स्टोरीबाज़ी’ नाम से कहानियाँ सुनाते हैं। दि...
दिव्य प्रकाश दुबे ने सात बेस्ट सेलर किताबें—‘शर्तें लागू’, ‘मसाला चाय’, ‘मुसाफ़िर Cafe’, ‘अक्टूबर जंक्शन’, ‘इब्नेबतूती’, ‘आको-बाको’ और 'यार पापा'—लिखी हैं। ‘स्टोरीबाज़ी’ नाम से कहानियाँ सुनाते हैं। दि...
हम सभी की जिंदगी में एक लिस्ट होती है। हमारे सपनों की लिस्ट, छोटी-मोटी खुशियों की लिस्ट। सुधा की जिंदगी में भी एक ऐसी ही लिस्ट थी। हम सभी अपनी सपनों की लिस्ट को पूरा करते-करते लाइफ गुज़ार देते हैं। जब...
बेस्ट सेलर ‘मसाला चाय’ और ‘शर्तें लागू’ लिखने के बहुत समय बाद तक दिव्य प्रकाश दुबे को यही माना जाता था कि वे ठीक-ठाक कहानियाँ लिख लेते हैं। लेकिन अब जब वे 'स्टोरीबाज़ी’ में कहानियाँ सुनाते हैं तो लगता...
हारे हुए केस जीतना मनोज साल्वे की आदत ही नहीं शौक़ भी था। जब वह कोर्ट में दलील देने के लिए उठता तो जज भी अपनी कुर्सी पर पीठ सीधी करके बैठता। देश की लगभग सभी मैगज़ीन के कवर पर उसकी फ़ोटो आ चुकी थी। देश...
दो दोस्त, जो ढूँढ़ने चले हैं कि कविता आख़िर कहाँ से आती है। एक छोटे शहर की सुपर मॉम, जो रोज़ टीवी पर आने का सपना देखती है। भोपाल की वो लड़की, जो अब भी अपने मुंबई के पेन फ़्रेंड को हाथ से लिखी चिट्ठिया...
होता तो यह है कि बच्चे जब बड़े हो जाते है तो उनके माँ-बाप उनकी शादी कराते हैं लेकिन इस कहानी में थोड़ा-सा उल्टा है, या यूँ कह लीजिए कि पूरी कहानी ही उल्टी है। राघव अवस्थी के मन में एक बार एक उड़ता हुआ ख़य...