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कला के पथिक जान लें कि विज्ञान का विज्ञ मुकेश कुमार सिन्हा की तरह ‘प्रेम का अपवर्तनांक’ जैसी मौलिक कविता से नितांत भिन्न आस्वाद अन्वेषित कर सकता है। पहले भी मुकेश अपनी रचनाओं से प्रेमियों की फ़िजिक्स और केमिस्ट्री ठीक करते रहे हैं। नए अंदाज़ की इन रचनाओं का स्वागत! – ममता कालिया जीवन की विसंगति, संवेदन और स्पंदन के साथ मनुष्य के संघर्षमय सरोकारों के साथ जुड़ी कविताएँ। भीतरी और बाहरी छटपटाहट को मुकेश ने जिस तरह शब्दबद्ध किया है, वह उत्सुकता जगाता है और उनके कवि विकास को नए मरहले प्रदान करता है। – चित्रा मुद्गल मुकेश की कविताओं में हमारा समाज, जीवन और हमारे समय की विविध छवियाँ अंकित हैं। भाषा के सहज प्रवाह में जीवन का यथार्थ यहाँ निरंतर प्रवाहित हो रहा है। इन कविताओं में जीवन इस तरह विन्यस्त है कि पढ़ते हुए क्षण भर के लिए भी हमारे भीतर का आलोक धूमिल नहीं होता। मुकेश अपनी कविताओं की भाषा की ताक़त जीवन के ताप से अर्जित करते हैं। – हृषिकेश सुलभ आधुनिक दौर की मानव संवेदनाएँ और संघर्ष की कविताएँ। – इंडिया टुडे अनुभव व भावों से जीवन को तराशती हुईं कविताएँ। – दैनिक जागरण जीवन की विसंगतियाँ बयान करतीं कविताएँ। – लोकमत समाचार आम ज़िंदगी की कविताएँ। – जनवाणी