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रजनीश अमेरिका क्यों गए थे? वो स्त्री कौन थी जो छाया की तरह हमेशा उनके साथ रहती थी? उनके पूर्वजन्म की माँ और प्रेमिका उन्हें इस जन्म में कैसे मिलीं? उन्होंने ख़ुद को भगवान क्यों कहा और फिर यह उपाधि क्यों त्याग दी? अपनी दो सेक्रेटरियों लक्ष्मी और शीला के बीच वर्चस्व की लड़ाई का नुक़सान उन्होंने कैसे उठाया? वे इस्लाम पर कभी खुलकर क्यों नहीं बोले? उन्होंने किन 12 आध्यात्मिक नक्षत्रों की सूची बनाई थी? उन्होंने त्रिगुणों की साधना कैसे की? वे सेक्स के विरोधी थे या समर्थक? वे अमीरों के गुरु क्यों कहलाते थे? बंबई में उन्होंने 80 हज़ार लोगों पर सामूहिक शक्तिपात का प्रयोग कैसे किया था? क्या सच में ही गौतम बुद्ध की आत्मा ने उनकी देह में आश्रय लिया था? अब ओशो कहलाने वाले रजनीश पर केंद्रित यह किताब उपरोक्त तमाम सवालों के जवाब खोजने के साथ ही उनसे जुड़े बीसियों अन्य संदर्भों की भी पड़ताल करती है और उनके व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों का जायज़ा लेती है। लेखक ने स्वयं रजनीशप्रेमी होने के बावजूद वस्तुनिष्ठता के साथ उनसे जुड़े अनेक संदर्भों का अवलोकन किया है और उन पर एक ताज़ा, प्रासंगिक और ज़रूरी विवेचना प्रस्तुत की है, जो इस विवादास्पद किंतु विलक्षण गुरु के बारे में एक नई समझ बनाती है। About The Author - सुशोभित 13 अप्रैल 1982 को मध्यप्रदेश के झाबुआ में जन्म। शिक्षा-दीक्षा उज्जैन से। अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर। एक साल पत्रकारिता की भी अन्यमनस्क पढ़ाई की। भोपाल में निवास। कविता की चार पुस्तकें ‘मैं बनूँगा गुलमोहर’, ‘मलयगिरि का प्रेत’, ‘दु:ख की दैनंदिनी’ और ‘धूप का पंख’ प्रकाशित। गद्य की चौदह पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें लोकप्रिय फ़िल्म-गीतों पर ‘माया का मालकौंस’, क़िस्सों की किताब ‘माउथ ऑर्गन’, रम्य-रचनाओं का संकलन ‘सुनो बकुल’, महात्मा गांधी पर केंद्रित ‘गांधी की सुंदरता’, जनपदीय-जीवन की कहानियों का संकलन ‘बायस्कोप’, अंत:प्रक्रियाओं की पुस्तक ‘कल्पतरु’, विश्व-साहित्य पर ‘दूसरी क़लम’, भोजनरति पर ‘अपनी रामरसोई’‘पवित्र पाप’, भ्रमणरति पर ‘बावरा बटोही’, विश्व-सिनेमा पर ‘देखने की तृष्णा’, लोकप्रिय विज्ञान पर ‘आइंस्टाइन के कान’, फ़ुटबॉल पर ‘मिडफ़ील्ड’ और सत्यजित राय के सिनेमा पर ‘अपूर्व संसार’ सम्मिलित हैं। यह उन्नीसवीं पुस्तक। स्पैनिश कवि फ़ेदरीको गार्सीया लोर्का के पत्रों की एक पुस्तक, चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की आत्मकथा और अंग्रेज़ी के लोकप्रिय लेखक चेतन भगत के छह उपन्यासों का अनुवाद भी किया है। ‘सुनो बकुल’ के लिए वर्ष 2020 का स्पंदन युवा पुरस्कार। इस किताब को पढ़ने के बाद आप रजनीश को पहले की तरह नहीं देख सकेंगे।