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कुढ़न और नदियाँ नहीं रुकतीं | Kudhan Aur Nadiyan Nahin Rukti

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₹300 ₹500

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1. नदियाँ नहीं रुकतीं (आदित्य रहबर )
जीवन में हम कई पुस्तकों को पढ़ते है,
उन पुस्तकों में कुछ पुस्तकें ऐसी होती है जो आपके हृदय में
एक अलग छाप छोड़ जाती हैं यह पुस्तक भी उन्ही में से एक है । आदित्य जी की कविताएं अत्यंत सहज और आज के समय का उचित प्रतिबिंब है ।

2. कुढ़न (देवेन्द्र दाँगी)
कुढ़न: कविताओं का पहला संग्रह - लेखक और कवि देवेन्द्र दाँगी का पहला कविता संग्रह "कुढ़न" जीवन के अनगिनत रंगों को समेटे हुए है। यह संग्रह, जो पहले अमेज़न किंडल पर प्रस्तुत हुआ और अब पन्नों पर आपके सामने है, कवि की व्यक्तिगत यात्रा और अनुभवों का दर्पण है।
देवेन्द्र दाँगी ने इन कविताओं के माध्यम से अपने जीवन के कठिन पल, एकांत और भावनाओं को एक सरल और सारगर्भित शैली में प्रस्तुत किया है। कवि की कविताएँ उनके दादा की किताबों के प्रति प्रेम और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण से प्रेरित हैं।
उनके दादा ने हाल ही में किताबें पढ़ना शुरू किया और इनसे मिली ऊर्जा से जीवन की गहराइयों को समझा। दाँगी की कविताएँ इस भावना को समेटे हुए हैं कि कैसे किताबें और शब्द जीवन के साथी बन सकते हैं।
"कुढ़न" एक ऐसा संग्रह है जो पाठकों को आत्ममंथन और संवेदनाओं की गहराई में ले जाता है।
यह किताब न केवल कविता प्रेमियों के लिए है, बल्कि उन सभी के लिए है जो जीवन की गहराईयों को समझने और अपने अनुभवों को साझा करने का तरीका खोज रहे हैं।

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1. नदियाँ नहीं रुकतीं (आदित्य रहबर )
जीवन में हम कई पुस्तकों को पढ़ते है,
उन पुस्तकों में कुछ पुस्तकें ऐसी होती है जो आपके हृदय में
एक अलग छाप छोड़ जाती हैं यह पुस्तक भी उन्ही में से एक है । आदित्य जी की कविताएं अत्यंत सहज और आज के समय का उचित प्रतिबिंब है ।

2. कुढ़न (देवेन्द्र दाँगी)
कुढ़न: कविताओं का पहला संग्रह - लेखक और कवि देवेन्द्र दाँगी का पहला कविता संग्रह "कुढ़न" जीवन के अनगिनत रंगों को समेटे हुए है। यह संग्रह, जो पहले अमेज़न किंडल पर प्रस्तुत हुआ और अब पन्नों पर आपके सामने है, कवि की व्यक्तिगत यात्रा और अनुभवों का दर्पण है।
देवेन्द्र दाँगी ने इन कविताओं के माध्यम से अपने जीवन के कठिन पल, एकांत और भावनाओं को एक सरल और सारगर्भित शैली में प्रस्तुत किया है। कवि की कविताएँ उनके दादा की किताबों के प्रति प्रेम और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण से प्रेरित हैं।
उनके दादा ने हाल ही में किताबें पढ़ना शुरू किया और इनसे मिली ऊर्जा से जीवन की गहराइयों को समझा। दाँगी की कविताएँ इस भावना को समेटे हुए हैं कि कैसे किताबें और शब्द जीवन के साथी बन सकते हैं।
"कुढ़न" एक ऐसा संग्रह है जो पाठकों को आत्ममंथन और संवेदनाओं की गहराई में ले जाता है।
यह किताब न केवल कविता प्रेमियों के लिए है, बल्कि उन सभी के लिए है जो जीवन की गहराईयों को समझने और अपने अनुभवों को साझा करने का तरीका खोज रहे हैं।

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