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हम उम्र के आगामी पड़ावों पर आगे बढ़ते तो जाते हैं लेकिन हमारी स्मृतियाँ अक्सर ही हमें पीछे मुड़कर देखने पर मजबूर करती रहती हैं। अगर कुछ स्मृतियाँ वाक़ई ऐसी हों कि उन्हें दर्ज किया जा सके, फिर तो वे अपने लेखक या लेखिका से ख़ुद को दर्ज करवा ही लेती हैं–रचनाओं की शक्ल में। उपासना का यह कहानी-संग्रह ‘दरिया बंदर कोट’ स्मृतियों के ख़ूबसूरत रंग छिपे हुए हैं। कुल 11 कहानियों के इस संग्रह में स्मृतियों से निकली आपके नॉस्टेल्जिया को उभारने वाली कहानियाँ हैं। उन समयों की स्मृतियाँ जब न तो आज के आधुनिक समय की तरह मोबाइल हुआ करते थे और न ही सोशल मीडिया।