Tags: Divya Prakash Dubey, Novel

Yaar Papa । यार पापा

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हारे हुए केस जीतना मनोज साल्वे की आदत ही नहीं शौक़ भी था। जब वह कोर्ट में दलील देने के लिए उठता तो जज भी अपनी कुर्सी पर पीठ सीधी करके बैठता। देश की लगभग सभी मैगज़ीन के कवर पर उसकी फ़ोटो आ चुकी थी। देश के सौ सबसे धारदार व्यक्तियों की सूची में उसका नाम पिछले दस साल से हिला नहीं था। देश का बड़े-से-बड़ा अभिनेता, नेता और बिज़नेसमैन सभी मनोज साल्वे के या तो दोस्त थे या होना चाहते थे। मनोज के बारे में कहा जाता था कि पिछले कुछ सालों में कोई भी उससे बड़ा वकील नहीं हुआ। ऐसे में जब लग रहा था कि मनोज के साथ कुछ ग़लत नहीं हो सकता है, ख़बर आती है कि मनोज की लॉ की डिग्री फ़ेक है। इस ख़बर को वह झुठला नहीं पाता। वो आदमी जो हर केस जीत सकता था, वह अपनी बेटी की नज़र में क्यों सबसे बुरा इंसान था? ऐसा क्या था कि उसकी बेटी साशा उससे बात नहीं कर रही थी? क्या मनोज अपनी पर्सनल लाइफ़, अपने करियर को फिर से पटरी पर ला पाएगा?

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हारे हुए केस जीतना मनोज साल्वे की आदत ही नहीं शौक़ भी था। जब वह कोर्ट में दलील देने के लिए उठता तो जज भी अपनी कुर्सी पर पीठ सीधी करके बैठता। देश की लगभग सभी मैगज़ीन के कवर पर उसकी फ़ोटो आ चुकी थी। देश के सौ सबसे धारदार व्यक्तियों की सूची में उसका नाम पिछले दस साल से हिला नहीं था। देश का बड़े-से-बड़ा अभिनेता, नेता और बिज़नेसमैन सभी मनोज साल्वे के या तो दोस्त थे या होना चाहते थे। मनोज के बारे में कहा जाता था कि पिछले कुछ सालों में कोई भी उससे बड़ा वकील नहीं हुआ। ऐसे में जब लग रहा था कि मनोज के साथ कुछ ग़लत नहीं हो सकता है, ख़बर आती है कि मनोज की लॉ की डिग्री फ़ेक है। इस ख़बर को वह झुठला नहीं पाता। वो आदमी जो हर केस जीत सकता था, वह अपनी बेटी की नज़र में क्यों सबसे बुरा इंसान था? ऐसा क्या था कि उसकी बेटी साशा उससे बात नहीं कर रही थी? क्या मनोज अपनी पर्सनल लाइफ़, अपने करियर को फिर से पटरी पर ला पाएगा?

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